Freedom of Speech

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech) :- 
  • अभिव्यक्ति - अभिव्यक्ति से तात्पर्य है कि व्यक्ति के अपने विचारों या किसी सूचना को, अपनी राय को, अपने शब्दो में बोलकर, लिखकर या इशारों से व्यक्त करके, या अन्य किसी प्रक्रिया में अभिव्यक्त करना ही अभिव्यक्ति कहलाती है । 
  • प्रस्तावना- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,भारत में सभी व्यक्तियों  को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई हैं कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह से अपने भावों को, विचारों को, शब्दों में बोलकर लिखकर या इशारों से भी अभिव्यक्त कर सकते है । भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत सभी व्यक्तियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई हैं। अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की आजादी भारत के नागरिकों  के मूल अधिकारों में से एक हैं, हालांकि कुछ सीमाओं के साथ ही। इसका मतलब यह है कि लोग स्वतंत्र रूप से दूसरों के बारे मे अपने विचारों को व्यक्त कर सकते है । इसके साथ ही भारत सरकार की राजनीति प्रणाली, नीतियों और नौकरशाही के प्रति भी, हालांकि नैतिक आधार, सुरक्षा पर अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित किया जा सकता है। दुनिया भर के कई देश अपने नागरिकों को उनके विचारों अभिव्यक्ति की आजादी की अनुमति देते हैं। भारत की भांति ही अन्य कई देशों में भी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान है। ऐसा विशेष रूप से उन देशों में तो हैं ही जंहा लोकतांत्रिक सरकार है। इस तरह यह अधिकार उन देशों में रहने वाले लोगों को कानून द्वारा दंडित होने के डर के बिना अपने मन की बात करने के लिए सक्षम बनाता है।
भारत के संविधान में मूल अधिकारों की सूची में से एक अधिकार "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" को भी शामिल किया गया है। 
* बोलने वाला अपनी राय और विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की आजादी *
 
अभिव्यक्ति की आजादी की उत्पति - वैसे तो भारत संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत ही भारत में अभिव्यक्ति की स्वन्त्रता हर नागरिक के लिए मूल-अधिकारों में से एक  है। अभिव्यक्ति की आजादी की अवधारणा बहुत पहले उत्पन्न हुईं थीं । इसके साथ ही एक स्वतंत्र नतीजे के रूप में अभिवयक्ति की स्वन्त्रता पुष्टि हुई। अनुच्छेद 11 में अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की घोषणा के तहत स्पष्ट हुआ है कि "सोच और विचारों का नि:शुल्क संचार मनुष्य के अधिकारों मे सबसे अधिक मूल्यवान हैं। "हर नागरिक अपने अनुसार अपने खुद के विचारों को और अपनी भावना या अपनी सोच को मुँह से बोलकर या हाथो से लिखकर और अपने शरीर की सहायता  जैसे आंखो से या अपने शरीर के हावभाव या इशारों की सहायता से दूसरो के समक्ष पेश कर सकता हैं। हर नागरिक तदअनुसार स्वतंत्रता के साथ बोल सकता हैं तथा लिख सकता है तथा अपने शब्द छाप सकता हैं लेकिन कई बार ऐसे मे व्यक्ति शब्दों का दुरुपयोग कर देता है तो ऐसे वह उसी तरह जिम्मेदार होगा जैसा कि कानून द्वारा परिभाषित किया गया है।
इसी तरह अभिव्यक्ति की उत्पति तथा इसकी स्वतंत्रता मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा 1948 में अपनाई गई थी और इसी घोषणा में व्यक्ति को अपनी अभिव्यक्ति को अपने विचारों और राय अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, यह स्पष्ट कर दिया गया था। अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अब अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मानवाधिकार कानून का एक हिस्सा भी बन चुका है।
 
अभिव्यक्ति की जरूरत क्यों हैवैसे तो हम अब तक जान ही गए हैं कि व्यक्ति के लिए अभिव्यक्ति कितनी जरूरी हो गई है। उसी प्रकार हमारे लिए अर्थात नागरिकों के साथ- साथ राष्ट्र के लिए पूरे विकास और प्रगति के लिए अभिव्यक्ति की आजादी आवश्यक हैं प्राय: व्यक्ति जो बोलता है या जो सुनता है उस पर प्रतिबंध लगाकर किसी व्यक्ति के विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती हैं। इससे कई बार परेशानियां और असंतोष जैसे लड़ाई- झगड़े आदि तरह की बाधाएं आ जाती हैं जिससे तनाव बढ़ने की संभावना रहती हैं। ऐसे में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाज के विकास के लिए आवश्यक विचारों के आदान - प्रदान में मदद करती हैं। यह देश की राजनीतिक व्यवस्था को भी सुचारू रूप से चलाने में अपनी अहम भूमिका रखती हैं। इसी प्रकार व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हर जगह आवश्यक मानी गई हैं।
 
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कमजोर पहलू- जहाँ व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अपने विचारों और राय या अपनी सोच को अभिव्यक्त कर के समाज और साथी नागरिकों की भलाई के लिए अधिकार प्रदान हुआ हैं, वही इसके साथ साथ कई कमजोर पहलू भी जुड़े हुए हैं जैसे कि बहुत से लोगों का अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग किया जाना। कई लोग अपनी सोच और विचारों को गलत तरीके से भी अभिव्यक्त करते है, जो कि गैर कानूनी गतिविधियां करने के लिए लोगों का समूह बनाते है। इसके साथ ही आजकल इन्टरनेट और सोशल मीडिया पर आए दिन लोग किसी भी मुद्दों पर कुछ भी बोल देते है चाहे उस मुद्दे का उनको पूरा ज्ञान भी ना हो, ऐसी परिस्थितियां सांप्रदायिक दंगों के उत्पन्न होने का सबसे बड़ा कारण बन जाती हैं। इससे भी समाज की शांति और सद्भाव में बाधा आ जाती हैं। बिना किसी की भावनाओं की कद्र किये या किसी का मान - सम्मान किये बिना , नफरत पूर्ण टिप्पणियां लिखना या बोल देना भी,  अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की आजादी का एक बहुत बड़ा कमजोर पहलू है।
 
निष्कर्ष- हर देश को अपने नागरिको को बोलने की और अपने हाव-भाव व विचारों तथा अपनी सोच को अभिव्यक्त करने की आजादी प्रदान करनी चाहिए। हालांकि इसे पहले स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए ताकि यह व्यक्तियो के साथ साथ समाज मे सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद कर सके और यह सामान्य कार्य को बाधित ना करे। अभिव्यक्ति की आजादी लोगों को अपने विचारों को साझा करने और समाज  मे  सकारात्मक परिवर्तन लाने में  शक्ति प्रदान करती है।
 
 


 


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